Wednesday, June 16, 2010



अकेलापन...
अकेले होने का दर्द
बहोत ही होता है
कोई रौशनी ..कोई आशा नजर नहीं आती ..
विचार और भावनाओं की बढ़ जाती है कशमकश...
और धीरे धीरे व्यक्तित्व सिकुड़ने लग जाता है


हलके हलके फिर ये
दिल-ओ-दिमाग का तूफाँ
भर के आता है आँखों में
बादलों की तरह ...
और बरसने के लिए हो जाता है मजबूर ...
लेकिन एक बात है जरुर
ये अनोखा बहाव
दे जाता है मुझे एक नयी पहचान
और मेरी आँखों से छलके हुवे
मेरे आंसुओं के हर बूंद से
मेरे व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब
मुझसे मुस्कुराकर कहता है के
तुम अकेले नहीं हो ...
और मै बस सराभोर होकर
उन्हें प्यार से निहारता ही रह जाता हूँ ...

Wednesday, June 9, 2010


धड़कन ...

टूटता है दिल तो

आवाज भी नही होती है

एक अर्से पहले तुमने मुझसे मुंह मोड़ लिया था

और मै.. अब तक

मेरे दिल के टुकड़ों को समेट रहा हुं

ज़माना भी मना रहा है जशन

तेरे रुखसत का ...

कर रहा है कामयाब कोशिश

तेरी हर निशानी को मिटाने का ..

मै भी सोच रहा हुं

सब निशानियाँ तुझको लौटा दू

एक बार आओ

और ये सुनी पड़ी चांदनी

ये सुर्ख शबनम

तेरे मेरे लिखे ख़त

तेरे बदन की खुशबु

मेरे चेहरे के हर रेखाओं में अटकी हुवी

तेरी मुस्कुराहटें ...

मेरे हातों की लकीरों में

अब भी तक़दीर से उम्मीद करती हुवी

तेरे हातों की लकीरें ...

सबकुछ समेट कर चले जाओ

कुछ ना कहते हुवे....

पर हाँ जाते जाते

इस मृत दिल पे

दस्तक जरुर देते जाना

कुछ पल ही सही

इसे धड़कने की वजह देते जाना ...

Written By - Sajid Shaikh

Sunday, May 30, 2010


जिंदगी और मैं

जिंदगी देती मुझे हर एक मौका

वो तराशती रहती है मेरे अक्स को

मुश्कील से मुश्कील हालातों में डालकर

अजमाती रहती है

मेरे अहंकार, सब्र और विश्वास को

मेरे दिल की तारों को रख देती है झनझोडकर

और कहती है मुझसे

के अब छेड दे एक खुबसुरत सी धुन

गर छेड सको

मै भी अब लगा हु मुस्कुराने उसपर

और समझने लगा हूँ उसके तौरतरीके

उसकी अजमायीश को

अब कहीं न कहीं ये एहसास हो रहा है मुझे

के ये सब हो रहा है

मुझे इंसान बनाने के लिए

अब सिर्फ मुझे देनी है इज़ाज़त

खुद को तराशा हुवा हिरा बनाने की लिए

Written By-Sajid Shaikh ( sajid1111@gmail.com)

जिंदगी और तुम ...

दिल के तारों की

कभी तो आवाज सुना करो

अपने आप से

कभी तो यूँ मिलाओ आँखे

ये जिंदगी की सरगम

ऐसे ही फसे जा रही है

ख्वाहिशो और अरमानो को पूरा करते करते !

उलझाना तो है ही काम उसका ...

निकाल सको तो निकालो खुद को

इस जिंदगानी की दलदल से !

जिंदगी तो ऐसे भी है परेशां

उससे यूँ न उलझा करो ...!

पार हो जाओ उसके ...!!!

काबिज करके रखो इसे मुट्ठी में

अपनी आत्मा से निकालो

एक ऐसी यशस्वी धुन

के हो जाये जिंदगी

अपने आप में ही मगन

फिर देखो जिंदगी कैसे आती है

तुम्हारे पास मुस्कुराते हुवे

और करती है सलाम तुम्हे

बड़े अदब और एहतराम से ...

Written By-Sajid Shaikh (sajid1111@gmail.com)


Thursday, May 27, 2010


नमाज़

आज ईद का दिन है !

मै भी निकल पड़ा हजारो लोगो के साथ

कदम से कदम मिलाकर

उस पाक खुदा की हाजरी में ..

मेरे साथ चल रहे थे

हजारो लोग साफ सुथरे कपडे पहनकर

बेहतरीन से बेहतरीन इत्र लगाकर ..

सारे खुशनुमा लगे रहे थे वो

मुस्कराहट और ख़ुशी के क्या कहने

आज ईद जो है..!

चलते चलते मै रुक गया

मस्जिद की सीडियों पर

मेरे कई भाईबंद वहा थे भूखे नंगे ..

न कपडे थे उनके बदन पर

न खाने को कुछ और न ही वो खुशबूदार इत्र

मै और न बढ़ सका..

और मैंने सारा दिन उनके साथ बिताया

नमाज़ न पढ़ते हुवे ...

कोई मौलवी कह रहा किसी से मेरे बारे में ..

" आज इस बन्दे की नमाज़ कुबूल हुवी है

नमाज़ न पढ़ते हुवे

और खुदा हम हजारो लोगो की नमाजे

भी कुबूल कर लेगा इस की वजह से .."


Written By-Sajid Shaikh (sajid1111@gmail.com )

ख़त...

तुझे ख़त लिखते लिखते

परेशां हो जाता हूँ

समझ मे नहीं आता

कौनसे लफ्ज से तुम्हे सलाम करू ...

किन अल्फाजो से अंजाम दू

किन लफ्जो को सजाऊं ...

किसको तेरे कदमो मे बिछाऊं..

किन्हे तेरे हातो के मेहंदी मे रंग दू .

किसे तेरी पलकों पे सजाऊ ..

किसे तेरी जुल्फों से बांध लू ..

किसे तेरी मुस्कराहट मे घोल दू ...

माफ़ करना तुम्हे ख़त नहीं लिख सकता मै ...

मै आऊंगा ...

मै तुम्हे मिलूँगा ...

बस मेरी आँखे पढ़ लेना ...!!!

Written By-Sajid Shaikh (sajid1111@gmail.com )




अक्स ( दुसरा मन )
मेरे अक्स से मै अक्सर लढता रहता हु..
आज मेरी जीत हुवी है !
जीत तो नहीं कह सकते
पर हम आज एक ही बाजु में है ..
आज न कोई शिकवा , न कोई शिकायत है ..
मै तो हरदम खुद को
बचाता रहा अपने अक्स से ..
पर वो तो हावी होता गया ..
हमेशा से ही जीतता रहा मुझसे
तन्हाई , ख़ुशी , मज़बूरी , हर जगह वो छाया था
हर उस जगह, वहां मै था मैंने उसे पाया था
मेरे रोम रोम में घुसकर
मेरे अस्तित्व को तहस नहस किया था उसने ..।
कभी न जीत पाया था मै उससे ...

लेकिन आज मै जीता हु...
क्यो के आज मेरी मौत हो चुकी है ...
आज हम एक ही बाजु में है ...
Written By-Sajid Shaikh (sajid1111@gmail.com )




Written By-Sajid Shaikh (sajid1111@gmail.com )