
ख़त...
तुझे ख़त लिखते लिखते
परेशां हो जाता हूँ
समझ मे नहीं आता
कौनसे लफ्ज से तुम्हे सलाम करू ...
किन अल्फाजो से अंजाम दू
किन लफ्जो को सजाऊं ...
किसको तेरे कदमो मे बिछाऊं..
किन्हे तेरे हातो के मेहंदी मे रंग दू .
किसे तेरी पलकों पे सजाऊ ..
किसे तेरी जुल्फों से बांध लू ..
किसे तेरी मुस्कराहट मे घोल दू ...
माफ़ करना तुम्हे ख़त नहीं लिख सकता मै ...
मै आऊंगा ...
मै तुम्हे मिलूँगा ...
बस मेरी आँखे पढ़ लेना ...!!!
Written By-Sajid Shaikh (sajid1111@gmail.com )
Thats beautifully composed...
ReplyDeletei love this one as well