Thursday, May 27, 2010


रहमान ..

तुम क्या थे ..कुछ खबर भी है तुम्हे ..

एक रक्त का बूंदएक रक्त की गुठली..

किसने बनाया है तुम्हे ?

कौन था वो जो

तुम्हे अपनी माँ के पेट में

मीठी नींद और सुकून देता था

किस बात की अकड है तुम्हे ?

याद है जो सीना तान के तुम चलते हो इस जमीं पर

उसका ना कोई वजूद था

और ना थी तुम्हारे रिड की हड्डी

के तुम खड़े हो जाओ अपने दम पर ..

वो कौन था कभी सोचा है जिसने रूह फुंकी थी ..

तुम्हारे जिस्म में !

और नूर ही नूर भर दिया था

तुम्हारे इस मिटटी के बदन में ..

तुम तब भी ना जान पाए थे और ना जान पाओगे कभी ..

चलो एक बार माफ़ी मांगलो..

उसकी अनगिनत मेहेरबानियो के लिए

रिड कि हड्डी को थोडासा झुकावो ...

सजदे में गिर जाओ ..

शायद वो तुम्हे माफ़ कर दे वो तो रहमान है .. !

साजिद शेख (sajid1111@gmail.com )

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