Thursday, May 27, 2010




तमन्ना..
अब हम थक गए है बच्चो..
अब इन हातो में ताकत कहा ?
इन कि लकीरे देखने तक कि नहीं थी फुर्सत हमें..
अब एक एक लकिरो को
गिनने के सिवा बचा क्या है ?
हजारो पलो को हम ने जिया है ख़ुशी और गमो
इनही हातों ने तुम्हे थामे रखा था
हर उस मोड़ पे जहा जहा तुम गिर गए थे
हर मुसीबत झेली थी तुम्हारे लिए
हर पल को कुर्बान किया था
तुम्हारे ख़ुशी के लिए
बच्चो , हर बार की तरह इस महीने
और इस महीने से आगे,
पैसे न भेजना तुम आ जाना..
तुम्हारे लिये आँखे बिछाये बैठा हु
एक बार गले लगाने को मन करता है
इस बार तुम आ जाना बेटा..
सिर्फ तुम आ जाना ...
Written By-Sajid Shaikh (sajid1111@gmail.com )




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