Tuesday, May 11, 2010

Keemat




किमत...
आज खुदको बेच आया हूँ
दुनिया के बाज़ार में
विश्वास था मन में
के अनमोल था मै ..
रद्दी के भाव बिक आया हूँ मै ...
हँसता हूँ खुद की तकदीर पर
क्या दिन दिखला रही है वो ..
कितना मजबूर करा रही है वो..
आज मेरी सारी कविताये बेच आया हूँ मै..
दिल की नमी को शुष्क कर आया हूँ मै..
अब थोडासा हलका लग रहा है
खुला खुला सा महसूस हो रहा है
तकदीर से अपना तो झगडा था
पर अब उसपर भरोसा हो रहा है ...
लेकिन ये विश्वास है के ..
मेरे हर कविता का एक एक लफ्ज़
जो गुजरेगा किसी के दिल से ..
वो बहेगा अनमोल आंसू बनकर
और मुझे फिर से लौटाएगा
मेरी कीमत
जो अनमोल है ...
Written By-Sajid Shaikh (sajid1111@gmail.com )

6 comments:

  1. Sajid Bhai Namskar,

    agar ye aapka likha hai to plz isko yahan bhi dekhe aur comment bhi de

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  2. http://www.orkut.co.in/Main#CommMsgs?cmm=27806691&tid=5469965753341956758&start=1

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  3. waah!!!!!! Sajid jee koi na chah ke bhi naa kharid paayega aapki kavitaon ko...... bahut anmol hain ye aapki tarah!!!

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  4. @bobby ..that matter already sovled ..thanks ..plz visit me in Facebook ..aapko shayad yakin ho jaye ..:-)

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