Thursday, May 27, 2010


कवी..

मै कोई कवी नहीं हूँ

और न ही लिख सकता हूँ कोई कविता !

सुना है लोग जरुर कहने लगे है मुझे

एक महान कवी ...!

पर मै कुछ खास नहीं करता !

सिर्फ तेरी यांदों के मोती को

दिल की सींप से निकलकर रख देता हूँ

जैसा के वैसा उनके सामने !

रखा है मैंने मेरी आँखो के नजरीये का

एक साफ़ सुथरा आइना..

जो दर्ज करता रहता है

जिंदगी की हकीकते!

मै करता रहता हूँ जी तोड कोशिश

'सत्य' को 'सत्य' कहने की !


सिर्फ इतना जनता हूँ के

जो निकलती है दिल से

वो पहुंचती है दिल तक !

वरना मै कोई कवी वगैरा नहीं हूँ

और ना ही हूँ

उन महान कवियों के नाख़ून के बराबर !

Written By-साजिद शेख



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