Sunday, May 30, 2010


जिंदगी और मैं

जिंदगी देती मुझे हर एक मौका

वो तराशती रहती है मेरे अक्स को

मुश्कील से मुश्कील हालातों में डालकर

अजमाती रहती है

मेरे अहंकार, सब्र और विश्वास को

मेरे दिल की तारों को रख देती है झनझोडकर

और कहती है मुझसे

के अब छेड दे एक खुबसुरत सी धुन

गर छेड सको

मै भी अब लगा हु मुस्कुराने उसपर

और समझने लगा हूँ उसके तौरतरीके

उसकी अजमायीश को

अब कहीं न कहीं ये एहसास हो रहा है मुझे

के ये सब हो रहा है

मुझे इंसान बनाने के लिए

अब सिर्फ मुझे देनी है इज़ाज़त

खुद को तराशा हुवा हिरा बनाने की लिए

Written By-Sajid Shaikh ( sajid1111@gmail.com)

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