Thursday, May 27, 2010


आंसू ...

आज जी कर रहा है के

जी भर के रो लूँ

आज आंसू कर रहे है इल्तजा

के हमें बहने दो ... !

कितना दर्द छुपाओगे अपने सीने में..?

आज हम को बह जाने दो ...!

इस दर्द को बयाँ हो जाने दो

क्या उतर आये हम तुम्हारी आंखोसे ?

मैंने कहा उनसे

नहीं अभी वक़्त नहीं है आया

ये आँखे नहीं होगी नम

जबतक करूँगा मै तूफाँ का सामना

जबतक के नहीं पाऊंगा जीत

तब तक तुम्हे मेरे ही साथ

मेरी आँखों में तैरता ही रहना होगा...

मै एक मिसाल हूँ दुनिया के लिए

ये आँखों के अंदर से ही तुमको कहना होगा

ये कश्मकश मेरे और तुम्हारे बीच ही रहने दो

फिर कभी ना कहना के हमें एक बार तो बहने दो...

साजिद शेख

2 comments:

  1. ये आँखों के अंदर से ही तुमको कहना होगा

    ये कश्मकश मेरे और तुम्हारे बीच ही रहने दो

    फिर कभी ना कहना के हमें एक बार तो बहने दो..


    ati sunder ,achha lagpad ker

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