Sunday, May 30, 2010


जिंदगी और तुम ...

दिल के तारों की

कभी तो आवाज सुना करो

अपने आप से

कभी तो यूँ मिलाओ आँखे

ये जिंदगी की सरगम

ऐसे ही फसे जा रही है

ख्वाहिशो और अरमानो को पूरा करते करते !

उलझाना तो है ही काम उसका ...

निकाल सको तो निकालो खुद को

इस जिंदगानी की दलदल से !

जिंदगी तो ऐसे भी है परेशां

उससे यूँ न उलझा करो ...!

पार हो जाओ उसके ...!!!

काबिज करके रखो इसे मुट्ठी में

अपनी आत्मा से निकालो

एक ऐसी यशस्वी धुन

के हो जाये जिंदगी

अपने आप में ही मगन

फिर देखो जिंदगी कैसे आती है

तुम्हारे पास मुस्कुराते हुवे

और करती है सलाम तुम्हे

बड़े अदब और एहतराम से ...

Written By-Sajid Shaikh (sajid1111@gmail.com)


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